Kuchh Tum Ko Sach Se

कुछ तुम को सच से नफरत थी, कुछ हम से न बोले झूट गए, कुछ लोगों ने उकसाया तुम्हें, कुछ अपने मुक़द्दर फूट गए, कुछ खुद इतने चालाक न थे, कुछ लोग भी हम को लूट गए, कुछ उम्मीद भी हद से ज्यादा थे, की मेरे ख्वाब ही सारे टूट गए..

Related Posts:

  • नहीं मिला कोईनहीं मिला कोई तुम जैसा आज तक, पर ये सितम अलग है की मिले तुम भी नही.… Read More
  • ये भी एक तमाशाये भी एक तमाशा है, इश्क और मोहब्बत में दिल किसी का होता है और बस किसी का चलता है.… Read More
  • मैं उस किताबमैं उस किताब का आख़िरी पन्ना था, मैं ना होता तो कहानी ख़त्म न होती.… Read More

0 comments:

Post a Comment