Manjilen Khaamosh Hai ,Shor Karata

मंजिलें खामोश है ,शोर करता ये रास्ता तो है, दिल्लगी का हीं सही ,साथ कोई वास्ता तो है, कौन कहता है हमारे दरमियाँ कुछ भी नहीं, नामुक़्कमल इक अधूरी अनकही दास्ताँ तो है..

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