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जिन्दगी की हर सुबह

जिन्दगी की हर सुबह कुछ शर्ते लेके आती है. और जिन्दगी की हर शाम कुछ तर्जुबे देके जाती है मंजिल चाहे कितनी भी ऊँची क्यों न हो रास्ते हमेशा पैरों के नीचे होते हैं. जो निखर कर बिखर जाए वो "कर्तव्य" है और जो बिखर कर निखर जाए वो "व्यक्तित्व" है.