सुबह की "चाय" और बड़ों की "राय" समय-समय पर लेते रहना चाहिए. पानी के बिना, नदी बेकार है अतिथि के बिना, आँगन बेकार है। प्रेम न हो तो, सगे-सम्बन्धी बेकार है। पैसा न हो तो, पोकेट बेकार है। और जीवन में गुरु न हो तो जीवन बेकार है। इसलिए जीवन में "गुरु"जरुरी है। "गुरुर" नही ✍..
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